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न्यास पत्र प्रारूप 2024

न्यास पत्र में किसी संगठन या संस्था में किसी व्यक्ति⁄व्यक्तियों को सदस्यता एवं पद के साथ ही अधिकार और कर्त्तव्य प्रदान किये जाते हैं। किसी व्यक्ति को न्यास की सदस्या प्राप्त करने के लिए औपचारिक रूप से आवेदन करना होता है। न्याय पत्र व्यक्ति को संस्था में जुड़ने के लिए दस्तावेजी प्रमाण के रूप में होता है।

न्यास-पत्र में संस्था के नियम एवं विधि का वर्णन होता है। इस न्यास-पत्र को इस प्रकार से तैयार किया जाता है कि उसमें सभी प्रकार के नियम‚ शर्त‚ अधिकार एवं कर्तत्य आदि लिखित रूप में विस्तार रूप में शामिल हों। न्यास-पत्र में उल्लेखित शर्तों एवं नियमों के आधार पर सदस्यता को कानूनी रूप से महत्व प्रदान करता है। किसी व्यक्ति की सदस्यता के बारे में एक सबूत⁄साक्ष्य की तरह से कार्य करता है।

एक–दूसरे से भिन्न न्यास-पत्र में लिखे गये विवरण अलग–अलग हो सकते हैं। यानी कि नियम‚ सदस्यता आदि के सम्बन्ध में शर्तें अलग–अलग हो सकतीं हैं। इसलिए किसी संगठन या संस्था की सदस्या लेने से पूर्व न्यास-पत्र में उल्लेखित विवरणों का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर लेना चाहिए।

न्यास पत्र का प्रारूप कैसा होता हैॽ

न्यास-पत्र का प्रारूप नीचे दिया गया है– नीचे दिये गये न्यास-पत्र के आधार पर किसी न्यास का रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है।

न्यास-पत्र

1. यह न्यास-पत्र निम्न न्यासी/न्यासियों के मध्य इण्डियन ट्रस्ट एक्ट 1882 के अधीन निष्पादित किया गया है। जिस पर उक्त अधिनियम के समस्त नियम व उप नियम प्रभावी होंगे।

1. क- <…………….मुख्य न्यासी का नाम…………………..> पुत्र <……………………….न्यासी के पिता का नाम……………..> ग्राम <………………….पता………………………> पैनकार्ड संख्या- <…………………….> मोबाईल नंबर <………………………..>

मुख्य न्यासी प्रथम पक्ष (प्रबन्धक)

2. न्यास का नाम – <……………………………..>

3. न्यास का पूरा पता – <……………………………..>

4. न्यास का कार्यक्षेत्र – सम्पूर्ण भारत

5. न्यास का स्वरूप – सामाजिक‚ धार्मिक‚ शैक्षणिक

6. न्यास का उद्देश्य –

  • मानव समाज में स्थायी सुख, शान्ति, सर्वधर्म समभाव, धार्मिकता, सदाचार, शिक्षा, स्वरूप, समानता आदि उत्तम गुणों की स्थापना हेतु कार्य करना।
  • सामाजिक विकास से सम्बन्धित निराश्रित व्यक्तियों व वृद्ध व्यक्तियों व निराश्रित बालक/बालिकाओं के सामाजिक उत्थान हेतु कार्य करना।
  • सामाजिक विकास, सुरक्षा व सहायता से सम्बन्धित समस्त कार्यो को करना।
  • प्राइमरी कक्षा से लेकर उच्च स्तर तक की शिक्षा हेतु बालक/बालिकाओं के लिए विद्यालय/महाविद्यालय एवं इंजिनियरिंग कालेज व मेडिकल कालेज की स्थापना करना व संचालित करना।

7. अन्य उद्देश्य –

  1. <न्यास का नाम> का रख रखाव करना।
  2. <न्यास का नाम> से प्राप्त होने वाले दान धनराशि से असहाय लड़कियों की सहायता करना।
  3. <न्यास का नाम> के अधीन अपने ग्रामीण क्षेत्र में बालक/बालिकाओं को शिक्षा देने हेतु विद्यालय व महाविद्यायल व इंजिनियरिंग कालेज व मेडिकल कालेज की स्थापना करना व संचालित करना।
  4. <न्यास का नाम> के सर्वांगीण विकास के लिए क्षेत्र व समाज के प्रतिष्ठित लोगों से सहायता स्वरूप धन इकट्ठा करना और मंदिर का विकास करना।
  5. <न्यास का नाम> के अधीन क्षेत्र के बालक/बालिकाओं के लिए खूल-कूद का आयोजन करना।
  6. निराश्रित वृद्ध व विधवा के भरण पोषण हेतु निराश्रित आश्रम का निर्माण करना।
  7. <न्यास का नाम> के नाम की सम्पत्ति का रख-रखाव करना और मंदिर के विकास में सम्पत्ति से होने वाली आय का उपयोग मंदिर के विकास में लगाना।
  8. निराश्रित मृत व्यक्तियों का दाह-संस्कार करना और उनका हिन्दू रीति-रिवाज से काम-क्रिया करना।
  9. असहाय एवं निराश्रित रोगियों का इलाज का व्यवस्था करना और उन्हें स्वस्थ बनाने का पूरा प्रयास करना।
  10. <न्यास का नाम> परिसर में भण्डारा का आयोजन कराना व धर्म के प्रति निष्ठावान बनाना एवं मंदिर परिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन एवं रामलीला मंचन करना।
  11. न्यास के माध्यम से अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय जैसे- सी.बी.एस.सी. बोर्ड, आई.एस.सी. व यूपी बोर्ड की मान्यता प्राप्त करके विद्यालयों का संचालन करना।
  12. समाज के पिछड़े व अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति व सामान्य वर्ग के बालक व बालिकाओं हेतु शिक्षण एवं प्रशिक्षण जैसे कम्प्यूटर व साफ्टवेयर, इंजिनियरिंग, हार्डवेयर, मोबाइल रिपेयरिंग, टीवी व एसी व फ्रीज, व सिलाई-कढ़ाई, बुनाई व पेंटिंग आदि के बारे में जानकारी देने का प्रयास करना।
  13. न्यास के माध्यम से सम्बनिधत विभाग से अनुमति लेकर आईटीआई व मिनी आईटीआई विद्यालय खोलकर प्रशिक्षण देने का प्रयास करना।
  14. न्यास के माध्यम से प्राकृतिक चिकित्सा की शिक्षा दिलाना और लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से लोगों को स्वस्थ्य रहने के लिए प्रेरित करना।
  15. समाज को साक्षर बनाने के लिए सर्व शिक्षा, शिक्षा गारंटी योजना के बारे में लोगों को ज्ञान करवाना व शिक्षा के कायक्रमों का प्रचार-प्रसार करना।
  16. शारीरिक एवं मानसिक रूप से अक्षम व्यक्तियों हेतु कल्याणकारी कार्यां व योजनाओं को सम्पदित करना और उनके लिए रहने योग्य निःशुल्क आश्रम बनवाना।
  17. विकलांग बालक एवं बालिकाओं के लिए शिक्षा का प्रबन्ध करना।
  18. निराश्रित छात्र/छाआओं हेतु पुस्ताकलय एवं वाचनालय एवं हास्टल का प्रबन्ध करना।
  19. न्यास के माध्यम से दलित, अनुसूचित जाति एवं जनजाति व पिछड़ी जाति व सामान्य वर्ग के छात्र एवं छात्राओं हेतु शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा दिलाने का कार्य करना।
  20. न्यास के माध्यम से पशुपालन व गौसेवा व दूध उत्पादन हेतु कार्यों को बढ़ावा देना।
  21. छुट्टा एवं आवारा पशुओं की देखरेख करने हेतु बाड़ बनवाना एवं गौशाला बनवाना।
  22. औषधीय कार्यांे के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का सेवन करने हेतु प्रेरित करना।
  23. बेरोजगार युवकों को स्वरोजगार करने के लिए प्रेरित करना और समय-समय पर बरोजगार लोगों को दिशा निदेश देना।
  24. न्यास के माध्यम से बेटियों की शादी में दहेज प्रथा को रोकने के लिए कार्य करना एवं दहेज पीड़ित एवं तलाकशुदा महिलाओं का उत्साहबर्धन कर उन्हें स्वावलंबी बनाने का पूरा प्रयास करना।
  25. परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य कार्यक्रमों को गांव एवं शहर में व्यापक स्तर पर निःशुल्क शिविर लगवाना और रोगियों की मेडिकल जांच कराने हेतु डाक्टर से मिलकर शिविर व कैम्प लगवाना।
  26. जनकल्याण हेतु हर प्रकार की निःशुल्क चिकित्सा एवं स्वास्थ्य संबन्धी कार्यक्रमों का प्रचार प्रसार निःशुल्क करना।
  27. न्यास के माध्यम से गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर रोगी, गुर्दा रोगी, हृदय रोगी पीड़ित व्यक्तियों के इलाज के लिए हर संभव प्रयास करना एवं सरकार से मिलकर ऐसे रोगियों के उपचार हेतु अनुदान दिलाने हेतु प्रयास करना।
  28. निर्धन एवं कमजोर वर्ग के मेघावी बालक/बालिकायों के निःशुल्क छात्रावास व पुस्तकालय का प्रबंध करना।
  29. स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने हेतु गांव एवं शहरों में अनेक खेल जैसे क्रिकेट, बालीवाल, फुटबाल, हाकी खेल, बैडमिन्टन आदि इंडोर गेम को आयोजित करना एवं नौजनवान युवक-युवतियों में खेल के प्रति अभिरूचि पैदा कर खेल के प्रति पे्ररित करना।
  30. शिक्षा की सुविधा प्रदान कर बालक एवं बालिकाओं को एक सच्चा देशप्रेमी नागरिक बनाना।
  31. मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय युवा कल्याण एवं खेल मंत्रालओं एवं अन्य मंत्रलायों द्वारा चलायी जा रही योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु बेरोजगार युवक-युवतियों को योजनाओं की जानकारी देने का पूरा प्रयास करना।
  32. शराब व मादक पदार्थों का सेवन करने वालों की आदतों में सुधार लाने के लिए सरकार के कार्यक्रमों के अनुसार नशा उन्मूलन एवं पुर्नवास केन्द्र स्थापित करना।
  33. न्यास के अधीन जल संरक्षण करने की योजना बनाना एवं भीड़-भाड़ वाले स्थान या बाजार में शुद्ध पेयजल क निकासी का प्रबन्ध करना और मानव कल्याण हेतु प्याऊ स्थल का व्यवस्था करना और कस्बों में भी पानी पीने का संसाधन बनाना मुख्य लक्ष्य में से प्रथम होगा।
  34. स्टोट्स/खेल में (प्रथम, द्वितीय व तृतीय श्रेणी) यानी अव्वल आने वाले खिलाड़ियों को पुरस्कृत कर समाज में उनका उत्साहबर्धन करना।
  35. भिन्न-भिन्न स्थानों पर पूजा समितियों का गठन करना एवं अखाड़ा संचालित करना।
  36. विभिन्न हिन्दू पर्व पर नवयुवकों एवं नवयुवतियों के लिए कुश्ती प्रतियोगिता आयोजित कर पहलवानों का उत्साहबर्धन करना।
  37. बाल विकास एवं बाल चिकित्सा हेतु यूनिसेफ, डब्ल्यू.एच.ओ., आई.एल.ओ., नाबार्ड आदि सरकारी एवं गैर सरकारी सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर कंधे से कंधा मिलाकर योजनाओं का प्रचार एवं प्रसार करना एवं समाज में कुपोषित बच्चों के कल्याण हेतु अनेक कार्यक्रम आयोजित करना।
  38. महिला उत्पीड़न एवं यौन उत्पीड़न का शिकार हुई महिलाओं का शासन एवं प्रशासन का सहयोग प्राप्त कराकर पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाना एवं मामले का निराकरण कराना प्रमुख उद्देश्य होगा।
  39. आम जनता के उपयोग हेतु धर्मार्थ कम्युनिटी हाल, बरात घर, वृद्धा आश्रम, महिला आश्रम एवं अनाथालय आश्रम एवं धर्मार्थ स्वरूप चिकित्सा क्लिनिक की स्थापना करना भी प्रमुख उद्देश्य होगा।
  40. बालिकाओं एवं महिलाओं के प्रति समाज में हो रहे घरेलू हिंसा व अत्याचार से रोकथाम हेतु उन्हें आवश्यक जानकारी देना एवं दहेज प्रथा व दहेज पीड़ित महिलाओं का उत्साहवर्धन कर उन्हें सामाजिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करना भी इस न्यास का प्रमुख कत्र्तव्य होगा।
  41. देश की जनसंख्या वृद्धि पर रोकथाम लगाने हेतु सरकार द्वारा चलाये जा रहे अनेकों कार्यक्रम का सरकार के साथ मिलकर लोगों के बीच प्रचार एवं प्रसार करना।
  42. देश में जनसंख्या वृद्धि समाज पर बोझ बन गया है। इसलिए वैवाहिक दम्पत्ति को सजग करते हुए ‘‘हम दो हमारे दो‘‘ के नारे का प्रचार-प्रसार करना। इस न्यास के प्रमुख उद्देश्यों में से एक होगा।
  43. पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए वन संरक्षण करने का प्रचार प्रसार करना।
  44. स्वच्छ समाज एवं स्वच्छ समाज के उत्थान हेतु अधिक से अधिक वृक्ष व पेड़ लगाना एवं लगाने हेतु समाज को प्रेरित करना।
  45. पाकृतिक पर्यावरण की संतुलन धरोहर की रक्षा करने के लिए समाज को प्रेरित करना।
  46. देश-विदेश से आये साधु संतों एवं बौद्ध भिक्षुओं के ठहरने हेतु धर्मशाला की व्यवस्था करना और उन्हें आदर सत्कार देकर सम्मानित करना इस न्यास के प्रमुख कार्यांे में से प्रथम होगा।
  47. सन्यास आश्रम की व्यवस्था करना।
  48. बाल सुधार गृह बनवाना एवं इसको प्रमुखता से संचालित करना।
  49. विशेष कर शहर एवं ग्रामीण इलाकों में संस्कृत की शिक्षा के लिए प्राईमरी से लेकर उच्च स्तर की शिक्षा हेतु विद्यालय एवं महाविद्यालय की स्थापना करना एवं संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार करना अनेक उद्देश्यों में से एक होगा।

50 (क)-

क्र.सं.नामपिता⁄पति का नामपतापदव्यवसाय
1<प्रबन्धक⁄मुख्य न्यासी का नाम>प्रबन्धक⁄मुख्य न्यासी
2<अध्यक्ष का नाम>अध्यक्ष
3<उपाध्यक्ष का नाम>उपाध्यक्ष
4<सचिव का नाम>सचिव
5<कोषाध्यक्ष का नाम>कोषाध्यक्ष
6<सदस्य का नाम>सदस्य
7<सदस्य का नाम>सदस्य
8<सदस्य का नाम>सदस्य
9<सदस्य का नाम>सदस्य
10<सदस्य का नाम>सदस्य
11<सदस्य का नाम>सदस्य

50 (ख)-
न्यास के प्रबन्धक यानी मुख्य न्यासी की दृष्टि से मैं 10 हजार रूपया न्यास के कोष में जमा करता हॅूं और उम्मीद करता हूॅं कि न्यासी समिति के सभी सदस्य व पदाधिकारी इस पंूजी/सम्पत्ति को भविष्य में बढ़ाते रहेंगे। न्यास के उद्देश्यों का उल्लेख दिया गया है। न्यास का कार्यालय ग्राम गौहरपुर, टोला अमहवा, तहसील नौतनवा, जनपद महराजगंज में रहेगा। आवश्यकता होने पर न्यास के उक्त कार्यालय समस्त भारत में कहीं भी खोला जा सकता है।

(ग) न्यास की सदस्यता तथा सदस्यों के वर्क

ग-1 – आजीवन सदस्यता –
ऐसे सदस्य जो न्याय के उद्देश्य एवं पूर्ति हेतु बचनबद्ध होंगे व चल व अचल सम्पत्ति न्यास को दान देंगे, वे न्यास के आजीवन सदस्य होंगे और आजीवन सदस्यता हेतु न्यूनतम 5001 रूपया की धनराशि दान स्वरूप देकर न्यास की रसीद लेना होगा।

ग-2 – विशिष्ट सदस्य-
ऐसे सदस्य जो न्यास के हित में विशेष रूप से प्रभावशाली कार्य करेंगे तथा साथ-साथ न्यास के प्रत्येक कार्य मंें रूचि रखेंगे ऐसे सदस्य न्यास के विशिष्ट सदस्य माने जायेंगे और उनकी न्यूनतम सदस्यता शुल्क 1001 रूपया होगा।

ग-3- सामान्य सदस्य –
ऐसे सदस्य जो न्यास के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु कम से कम 501 रूपया प्रतिवर्ष सदस्यता शुल्क के रूप में न्यास के कोर्ट में जमा करेंगे और वह प्रतिवर्ष न्यास के साधारण सदस्य बने रहेंगे।

ग-4- सदस्या की समाप्ति-
न्यास के सदस्यों की सदस्यता निम्न आधार पर समाप्त मानी जावेगी।

  • किसी सदस्य की अचानक मृत्यु हो जाने पर।
  • किसी सदस्य के पागलपन से पीड़ित होने पर।
  • किसी सदस्य के आपराधिक कृत्य पर न्यायालय से दण्डित होने पर।
  • न्यास के विरूद्ध कार्य करने पर।
  • न्यास से त्याग पत्र देने पर।
  • न्यास के कई लगातार बैठक में अनुपस्थित होने पर।
  • न्यास के सदस्यों के 2/3 बहुमत से किसी कारण वश निकाले जाने पर।
  • न्यास की सदस्यता शुल्क नहीं जमा करने पर।

51- सामान्य तौर पर न्यास की बैठक सचिव द्वारा वर्ष मेें दो बार बुलायी जायेगी। यदि किसी विषय में न्यास समिति की मंत्रणा होना आवश्यक है तो मुख्य न्यासी यानी प्रबन्धक द्वारा बैठक बुलायी जा सकती है। ऐसे बैठक में प्रत्येक पदाधिकारी व सदस्य का उपस्थित होना आवश्यक होगा।

52- न्यास के सचिव को सभी आवश्यक दस्तावेज/अभिलेख का रख-रखाव करना और लिखना व पढ़ने की जिम्मेदारी होगी।

53– सचिव द्वारा न्यास समिति के कानून के अन्तर्गत आयकर विभाग एवं अन्य सरकारी विभागों में आवश्यकतानुसार पंजीकरण करना एवं आयकर से सम्बन्धित रिटर्न समय-समय पर दाखिल करना और अधिकार प्राप्त लेखा परीक्षक से समय-समय पर परीक्षण कराना होगा।

54– न्यास का संग्रहित धनराशि का बैंक अकाउण्ट किसी राष्ट्रीयकृत बैंक मंे खोला जावेगा और बैंक खाता का संचालन मुख्य न्यासी यानी प्रबन्ध्का और कोषाध्यक्ष के हस्ताक्षर से संचालित होगा। किसी विशेष आपाता स्थिति में मुख्य न्यासी/प्रबन्धक अपने हस्ताक्षर से रूपया जमा कर सकेगा और बैंक से रूपया निकाल भी सकेगा।

55– मुख्य न्यासी यानी प्रबन्धक को न्यास के लाभ हेतु न्यास की सम्पत्ति तथा कोष के रख-रखाव एवं न्यास में पदों का सृजन करने का पूर्ण अधिकार होगा और प्राप्त होने वाले दान का बतौर मुख्य न्यासी/प्रबन्धक ग्रहण करने तथा न्यास के लाभ व विकास हेतु बतौर मुख्य न्यासी / प्रबन्धक अंतरित करने का अधिकार प्राप्त होगा।

56– न्यास में वर्तमान मुख्य न्यासी/प्रबन्धक के वारिसान ही मुख्य न्यासी/प्रबन्धक की मृत्यु की दशा में मुख्य न्यासी/प्रबन्धक होंगे। किसी दीगर व्यक्ति या पदाधिकारी व सदस्य का कोई हस्तक्षेप इस न्यास में मान्य नहीं होगा।

57– इस न्यास को विघटन करने का अधिकार मुख्य न्यासी/प्रबन्धक के जीवित रहने की दशा में मुख्य न्यासी/प्रबन्धक का अधिकार होगा या मृत्यु की दशा में मुख्य न्यासी के विधिक वारिसान का अधिकार होगा।

घोषणा

न्यास समिति की तरफ से मैं मुख्य न्यासी …………………… पुत्र …………………………………………… यह घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त सभी कार्य व उद्देश्य मैने स्वस्थ्य मनः स्थिति से बिना किसी बाहरी दबाव के संस्थापक/मुख्य न्यासी/प्रबन्धक की हैसियत से आज दिनांक ………………. को लिखा व पंजीकरण हेतु प्रस्तुत किया है।

हस्ताक्षर मुख्य न्यासी / प्रबन्धक

1- गवाह……………………………..

2- गवाह…………………………….

लेखक/ड्राफ्टकर्ता
<एडवोकेट का नाम> एडवोकेट
तहसील <तहसील का नाम>, जनपद <जनपद का नाम>
दिनांक……………………..

Admin

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